इन हाथों में होना थी किताबें: नाबालिग बच्चे कर रहे है होटल और दुकानों पर काम, ​श्रम विभाग सो रहा है

रूद्र जैन @ शिवपुरी। शासन की तमाम योजनाओं को पतीला लगाकर शहर में होटल, किराना दुकान, मोबइल शॉप सहित अन्य दुकानों में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे काम कर रहे हैं। प्रदेश सहित केंद्र सरकार बच्चों को कम से कम प्राथमिक शिक्षा दिलाने के लिए अनेकों योजनाएं चला रही है। जिले में श्रम विभाग की उदासीनता एवं दुकान संचालकों के रवैये के चलते नगर सहित आस-पास के क्षेत्रों के बड़ी संख्या में बच्चे होटलों एवं अन्य दुकानों में कार्य कर रहे हैं।

इस उम्र में जिन हाथों में किताब एवं कलम होनी चाहिए। वे हाथ या तो गरीबी की मजबूरी के कारण या अपने परिवार का आर्थिक सहायता देने के चलते मजबूरन दुकानों एवं होटलों में कप एवं प्लेटे धोने को मजबूर हैं। नगर में खासकर चाय, नाश्ते की होटलों, किराना दुकानों, मोबाइल शॉप पर अधिकांश नाबालिक एवं किशोर कार्य करते नजर आ रहे हैं।

होटल संचालक एवं दुकान संचालक अधिकांश ऐसे ही कम उम्र के बालकों की तलाश दुकान में कार्य करने के लिए करते हैं क्योकि एक और जहां उन्हे वयस्क मजदूरों को 150 से लेकर 200 रुपए प्रतिदिन के अनुसार मजदूरी देनी पड़ती है। वही छोटे बच्चों को मात्र 500 रुपए सप्ताह देकर ही होटल एवं अन्य दुकान संचालक कार्य करवाते हैं। जिससे उनका आर्थिक शोषण भी हो रहा है। इस विषय में शिक्षाविदों का कहना है कि हमारे द्वारा प्रत्येक गांव-गांव जाकर शिक्षा सत्र के पूर्व सर्वे किया जाता है, जिसमें कि प्रत्येक बच्चे को विद्यालय पंहुचाने हेतु अथक प्रयास किए जाते हैं।

घर पर भी करवाते हैं काम
होटल एवं अन्य दुकानों में काम करने वाले ये बच्चे न सिर्फ इन दुकान संचालकों के प्रतिष्ठानों में कार्य करते बल्कि अपने सेठों के आदेशानुसार घर पर भी कार्य करना पड़ता है। ये बच्चों से न सिर्फ कम मजदूरी पर कार्य करवाते हैं बल्कि उन्हें उनसे संबधित हर कार्य करने के लिए मजबूर करते हैं। यही नहीं गुमास्ता एक्ट की अवेहलना कर इन बच्चों को सप्ताह के सातों दिन कार्य करने दुकान बुलवाते हैं।

जिलें में आराम फरमा रहा श्रम विभाग
इन बच्चों को न्याय दिलाने वाला बाल श्रम विभाग जिला मुख्यालय में बैठकर ही सारी कार्रवाई कर देते हैं। विगत कई वर्षो से श्रम विभाग न कोई अधिकारी-कर्मचारी इन बच्चों को देखने व कार्रवाई करने यहां पंहुचा है। बताया जा रहा है कि जब कभी श्रम विभाग के आने की आहट इन होटल संचालकों एवं दुकान संचालको को मिलती है वह फौरन इन्हे कार्य मुक्त कर देते हैं। श्रम विभाग की लापरवही के कारण ही आज हजारों बच्चे शिक्षा से वंचित है, यदि श्रम विभाग इन दुकान संचालकों पर कठोर कार्यवाही करता है तब ही इन बच्चों को न्याय मिल पाएगा ओर इन बच्चों को निशुल्कः शिक्षा प्राप्त हो सकती है।

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