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फोटो-वीडियो से घिरे राठखेड़ा, सफाई बेअसर-सोशल मीडिया पर घिरते नेता, पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

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प्रिंस प्रजापति@शिवपुरी। शहर के बीचों-बीच, थाना बैराड़ से चंद कदम दूर एक युवक को सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में बीच चौराहे पर सिर पर जूता रखकर माफी मांगने को मजबूर किया गया। यह पूरा घटनाक्रम कैमरे में कैद होकर वायरल हो गया, जिसके बाद प्रशासन की नींद खुली और आरोपियों पर एफआईआर दर्ज की गई। इस पूरी शर्मनाक घटना में सबसे बड़ा सवाल यह है कि बैराड़ थाना प्रभारी रविशंकर कौशल क्या सच में अनजान थे या जानबूझकर अनदेखा किया गया? क्योंकि थाने के सामने, दर्जनों भाजपा नेताओं की मौजूदगी में, भीड़ के बीच यह अपमानजनक ‘तालिबानी पंचायत’ आयोजित की गई और पुलिस मूकदर्शक बनी रही।

घटना 26 जुलाई की है जब सार्थक अग्रवाल नामक युवक से कुलदीप रावत और छोटू रावत ने जूता सिर पर रखवाकर सार्वजनिक माफी मंगवाई। यह  भी बताया गया है कि आरोपितो ने पीडित के घर में घुसकर कट्टा दिखाकर जान से मारने की धमकी भी दी थी जिस डर की बजह पीडित ने एफआईआर दर्ज नही कराई थी। हालाकि इस मामले की पुष्टी नही हुई थी। इस अपमानजनक घटना के पीछे के विवाद को सुलझाने के नाम पर भाजपा नेताओं की मध्यस्थता थी। पीड़ित युवक ने विरोध किया तो आरोपियों ने उसके पिता को बेइज्जत करने की धमकी दी, जिस पर बेटे ने पिता की गरिमा बचाने के लिए खुद यह अपमान झेला। वीडियो वायरल होने के बाद वैश्य समाज भड़क गया। 27 जुलाई को शिवपुरी में विरोध प्रदर्शन हुआ, व बैराड़ में पूर्व मंत्री सुरेश राठखेड़ा के खिलाफ नारेबाजी हुई और बैराड़ में आरोपी का झुलूस तक निकला गया। इसी दबाव के चलते पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और छोटू रावत को गिरफ्तार किया।

पूर्व मंत्री सुरेश राठखेड़ा की इस पूरे मामले में भूमिका को लेकर अब सोशल मीडिया पर भी जमकर सवाल खड़े हो रहे हैं। राठखेड़ा ने भले ही सोशल मीडिया पर सफाई पेश की हो कि वे राजीनामा की बात सुनकर वहां से चले गए थे, लेकिन लोगों ने उनकी गाड़ी और उनके PSO की घटना स्थल पर मौजूदगी के फोटो पोस्ट कर उन्हें घेर लिया है। सोशल मीडिया पर लोग लगातार पूछ रहे हैं कि क्या यह सब आपकी मौजूदगी में नहीं हुआ? क्या आपकी चुप्पी मौन सहमति नहीं मानी जाए?

मामले में पूर्व मंत्री सुरेश राठखेड़ा की भूमिका को लेकर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। घटना के समय उनकी गाड़ी और उनका गार्ड घटनास्थल पर मौजूद थे। बरिष्ठ नेता कमलेश तिवारी, भाजपा मंडल महामंत्री पवन गुप्ता, पूर्व जिला पंचायत सदस्य विजय यादव सहित और भी अन्य भाजपा पदाधिकारी भी मौके पर मौजूद थे, लेकिन किसी ने युवक की अस्मिता की रक्षा नहीं की। कांग्रेस विधायक कैलाश कुशवाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस घटना को तालिबानी मानसिकता की संज्ञा दी और कहा कि यह वैश्य समाज नहीं, पूरे संविधान का अपमान है। उन्होंने पूछा- क्या अब थाने भाजपा की पंचायतों से संचालित होंगे? क्या भाजपा नेताओं के निर्देश पर न्याय की नाटकीयता रची जाएगी? जिलाबदर सहित आरोपियों पर पूर्व से कई केश दर्ज है क्या उनको भाजपाई का सरंक्षण है? उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और भाजपा नेताओं की जवाबदेही तय करने की मांग की है।

बैराड़ थाने की निष्क्रियता और पूर्व मंत्री की मौन सहमति के बीच जो कुछ हुआ, उसने पुलिस की कार्यप्रणाली और राजनैतिक गंद की हकीकत को उजागर कर दिया है। सवाल अब जनता के बीच हैं क्या पुलिस वाकई अंधी थी, या फिर आंखें मूंदे बैठी थी?

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