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सिंधिया के आवेदन फेंकने का मामला: प्रशासन बोला पत्रकार ने फिकबाएं, FIR, शिवम बोला-वीडियो वायरल किया तो FIR हो गई

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शिवपुरी। खबर जिले के पिछोर से आ रही है। जहां बीते दिनों सिंधिया के जन समस्या निवारण कार्यक्रम में आवेदन फेंकने के मामले को तूल पकड़ने के मामले में प्रशासन ने 5 जिम्मेदार कर्मचारियों पर कार्यवाही करते हुए सस्पेंड कर दिया। इस मामले में अब प्रशासन ने पत्रकार शिवम पाण्डे और उसके साथी पर शासकीय कार्य में बाधा का मामला दर्ज कराया है।

प्रशासन की ओर से जारी प्रेस नोट के अनुसार पिछोर में जनसमस्या निवारण शिविर का आयोजन किया गया था। शिविर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हुए और उन्होंने आवेदकों की समस्याएं सुनी। जनसमस्या निवारण शिविर के दौरान अपनी समस्या लेकर आने वाले आवेदकों के आवेदनों को रजिस्टर्ड करने के लिए पंजीयन काउंटर बनाया गया। पंजीयन के बाद टोकन वितरण किए जा रहे थे। पंजीयन काउंटर और टोकन वितरण काउंटर पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी।

एसडीएम पिछोर शिवदयाल धाकड़ ने बताया कि शासकीय कार्य में बाधा डालने पर संबंधित लोगों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया है। इस शिविर के दौरान शिवम पांडे निवासी खनियाधाना और ओमप्रकाश चौधरी निवासी राजा महादेव कस्बा पिछोर सहित दो-तीन अज्ञात लोगों ने आकर काउंटर के सदस्यों के द्वारा किए जा रहे पंजीयन एवं टोकन वितरण कार्य में व्यवधान उत्पन्न किया। इनके द्वारा काउंटर पर रखे आवेदनों की छायाप्रति उठाकर ले गए। इसके कारण शिविर में अव्यवस्था हुई। इस प्रकार शासकीय कार्य में व्यवधान डालने पर संबंधित लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है। एसडीम ने बताया कि शिवम पांडे के विरुद्ध पूर्व में भी कई धाराओं में प्रकरण दर्ज हैं।

पत्रकार शिवम पाण्डे का आरोप
मुझे प्रशासन द्वारा दर्ज किए गए इस झूठे मुकदमे की कोई आशंका नहीं थी, क्योंकि मेरा उद्देश्य केवल जनता की आवाज़ को उनके जनप्रतिनिधि तक पहुंचाना था। मैं खुद अपने आवेदन लेकर गया था, लेकिन जब मुझे पता चला कि सैकड़ों आवेदनों को रद्दी में फेंक दिया गया है और सिर्फ चुनिंदा 100-150 आवेदनों पर ही सुनवाई की गई, तो मैंने यह मुद्दा उठाया।”पिछोर में प्रशासन ने पूरी योजना के तहत आम जनता की आवाज़ को दबाने का प्रयास किया। हजारों आवेदन डस्टबिन में फेंक दिए गए, और केवल चुनिंदा आवेदनों पर सुनवाई हुई। अगर सबकुछ सही था तो कर्मचारियों पर कार्रवाई क्यों हुई और अगर प्रशासन ने गलती की, तो दोषी अधिकारी कब जवाबदेह होंगे

“यह पूरा कार्यक्रम पहले से ही योजनाबद्ध था, जहां कुछ गिने-चुने लोगों को ही टोकन दिए गए और शेष आवेदकों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया। प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह इस व्यवस्था में लगा था कि किसी भी बड़े अधिकारी की पोल न खुले। जनता से जुड़ी वास्तविक समस्याओं को दबाने का यह सुनियोजित षड्यंत्र था, जिससे महाराज की छवि को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।”

“मैंने सिर्फ इतना कहा कि महाराज को पता चलना चाहिए कि पिछोर विधानसभा में उनकी साख पर बट्टा कौन लगा रहा है, उनकी छवि को धरातल पर कौन खराब कर रहा है। परंतु लोकतंत्र में एक आम नागरिक की आवाज़ को दबाने के लिए मुझ पर यह झूठी FIR दर्ज कर दी गई।”

“मैं प्रशासन से यह सवाल पूछना चाहता हूं कि अगर मैंने कोई गलत काम किया होता, तो जनता खुद मेरे समर्थन में क्यों खड़ी होती? स्थानीय नेताओं और बड़े अधिकारियों के प्रति जनता में इतना आक्रोश क्यों है? मेरा एकमात्र उद्देश्य आमजन की समस्याओं को सही मंच तक ले जाना था, परंतु मुझे झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है।”

“मैं इस अन्याय के खिलाफ हर लोकतांत्रिक और कानूनी लड़ाई लड़ूंगा और जनता की आवाज़ को कभी दबने नहीं दूंगा।”

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