मेडीकल कॉलेज: मामला मारपीट का नहीं,अब चुनाबी स्टंट है, कुछ शर्म बची हो तो जिन मरीजों की सेवा के लिए भर्ती हुए है उन्हें देखें, नेताओं की कटपुतली न बने

सतेन्द्र उपाध्याय @ शिवपुरी। जिले में बीते तीन दिन से विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे मेडीकल कॉलेज के डॉक्टरों और विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के बीच के मामले को जितना दबाना चाह रहे है उतना ही इसे कुछ पॉलिटीकल लोग इसे और तूल दिला रहे है। लगातार दो दिन से चल रहे इस मामले का पटाछेप नहीं हो रहा है। मरीजों की परेशानी को देखते हुए जनप्रतिनिधि वीरेन्द्र रघुवंशी ने सार्वजनिक तौर पर मांफी भी मांग ली। परंतु यह डॉक्टर इन सबको छोडकर अपनी जिद पर अडे है। अब इसे जातिगत रूप देकर मामले को और उलझाने का प्रयास किया जा रहा है।
विदित हो कि बीते तीन दिन पहले एक मामला प्रकाश में आया था। जिसमें मेडीकल कॉलेज में पदस्थ जूनियर डॉ हरिओम धाकड़ ने आरोप लगाया है कि उसके साथ कोलारस विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के गार्ड ने अभद्रता करते हुए मारपीट कर दी। इस बात की शिकायत डॉक्टर हरिओम ने मेडीकल कॉलेज के डीन से की। परंतु उन्होंने सुनवाई नहीं की तो उन्होंने पुलिस की शरण ली। शरण लेने के बाद विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने इस मामले में कहा कि उन्होंने अभ्रदता नहीं कि वल्कि डॉक्टर ने उनके साथ अभ्रदता की थी।
उसके बाद डॉक्टर अपनी जिद पर अडे रहे और इस जिद के चलते मरीज परेशान होते रहे। मरीजों को परेशान देखकर विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने अपना बडा दिल दिखाया और सार्वजनिक रूप से मांफी मांगकर इस मामले का पटाछेप करने का प्रयास किया। परंतु यहां तो मामला उलट हो गया। यहां माफी मांगने के बाद भी डॉक्टर अपनी जिद पर अडे रहे और एफआईआर की मांग पर अडे रहे।
अब सबाल यह है कि यह डॉक्टर क्या अपने हिसाब से शिवपुरी के लोगों को चलाने के प्रयास में है क्या आसान भाषा में पूरे मामले को समझिए। दरअसल जब से यह मामला शिवपुरी से सामने आया है मेडीकल कॉलेज को लेकर जो लोगों के प्रति गुस्सा था वह शोसल मीडिया पर दिखाई देने लगा। शहर की 100 प्रतिशत पोस्टों में से 95 प्रतिशत पोस्टें शिवपुरी मेडीकल कॉलेज की अव्यवस्थाओं को लेकर देखने को मिली।
अब यह पोस्टें शहर में किसी को दिखाई नहीं दे रही। यहां पदस्थ डॉक्टर मरीजों के साथ क्या करते है यह तो पोस्टे बता ही रही है। कोरोना काल में मौत का जो आंकडा मेडीकल कॉलेज से निकलकर आया वह भी किसी से छुपा नहीं है। इस दर्द को तो सिर्फ वही जानता है जिसका कोई उससे दूर हुआ हो। परंतु उसके बाद भी यहां सीनियर डॉक्टर लगातार अपने जूनियरों को समझाने का प्रयास कर रहे है कि इस मामले को अब ज्यादा तूल नहीं दो। परंत यह मामला थमने का नाम नहीं ले रहा। उसके पीछे का जो कारण है वह कारण पब्लिक को भी समझ नहीं आ रहा वह कारण आज हम आपको बताएगे।
समझे इस पूरे मामले के पीछे का सच क्या है
दरअसल डॉ हरिओम धाकड जिनके पिता का नाम वृजेश धाकड है यह मूलत: नेगमा गांव के निवासी है। नेगमा बमोरी विधानसभा क्षेत्र से आता है। इस घटनाक्रम में जो बात सामने आ रही है वह मेडीकल कॉलेज या डॉक्टरों के व्यवहार से इसका कोई संबंध नहीं है। वल्कि यह पूरा मामला राजनीतिक स्टंट का है यहां भी लोग अपने राजनैतिक भुट्टे सेंक रहे हैं। यह राजनीतिक स्टंट इस तरह से है कि डॉ हरिओम धाकड के पिता अपने क्षेत्र के मंत्री जी के संपर्क में है।
संपर्क भी ऐसा बैसा नहीं उनके आपस में संबंध बहुत घनिष्ठ है। जिसके चलते मंत्री जी और उनके साथ ही कोलारस विधानसभा क्षेत्र के कुछ टिकिटार्थी नेता इस मामले को महज इसलिए तूल देना चाह रहे है कि यह बबाल थमें नहीं। अब नेताओं के इस मकडजाल में पब्लिक जरूर परेशान हो रही है। हालात यह है कि शिवपुरी की पब्लिक परेशान है यह किसी को दिखाई नहीं दे रही। अगर इस परेशानी को खत्म करना ही है तो फिर तूल देने की जरूरत ही क्या है।
कुल मिलाकर कटा हुआ सिर और झुके हुए सिर में कोई अंतर नहीं होता। अगर कोलारस विधायक ने अपने ईगो को खत्म कर मरीजों की परेशानी को समझते हुए सार्वजनिक मंच से माफी मांगी है तो डॉक्टरों का भी दायित्व बनता है कि इस मामले को खत्म कर जो अपना कर्तब्य है उसपर लौटे। उनका पेशा मरीजों की सेवा करने का है एकजुट होकर लॉविंग कर इसे राजनीतिक मंच न बनाए। जो शिवपुरी के भविष्य के लिए कही भी सही नहीं है। अगर आप शिवपुरी मेडीकल कॉलेज के लिए अपनी कोई जिम्मेदारी दिखाना चाहते है तो आपका दायित्व है कि बखूबी पूरी ईमानदारी से मरीजों की सेवा करें। जिससे मध्यपद्रेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,इस मेडीकल कॉलेज की सौंगात देने बाले ज्योतिरादित्य सिंधिया और मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया अपनी जनता के बीच इस सौंगात का गुणगान कर सकें।