फिर खुली 108 एंबुलेंस की पोल, चलती एम्बुलेंस में प्रसूता ने दिया नवजात को जन्म, मौत, परिजनों ने लगाए लापरवाही के आरोप

पिछोर। जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से बेंटिलेटर पर है। लगातार शिवपुरी की मीडिया 108 एम्बुलेंस की खटारा हालात को उजागर कर रही है। 108 एम्बुलेंस एक तो खटारा दूसरा इनपर तैनात स्टाफ भी ट्रेंड नही होने के चलते इनकी कारगुजारी से लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ चल रहा है। अभी 2 2 घटनाएं कोलारस से सामने आई थी अब एक ओर घटना पिछोर से सामने आई है।

जहां पिछोर स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव के लिए भर्ती होने आई महिला को भर्ती होने के तीन घंटे बाद शिवपुरी के जिला अस्पताल के लिए रैफर कर दिया। जब प्रसूता को 108 एंबुलेंस की मदद से शिवपुरी के जिला अस्पताल ले जाया जा रहा था, इसी दौरान सिरसौद गांव के पास पहुंचते ही प्रसूता ने नवजात को एंबुलेंस में जन्म दे दिया। इससे नवजात की मौत हो गई। परिजनों ने पिछोर स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।

जानकारी के अनुसार पिछोर की रहने वाली भारती जाटव पत्नी जितेंद्र जाटव को सोमवार को प्रसव पीड़ा के बाद पिछोर के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था। इसी दौरान जांच करने के बाद डॉक्टरों ने भारती को शिवपुरी के जिला अस्पताल के लिए रैफर कर दिया था।

प्रसूता भारती को जब 108 की मदद से शिवपुरी के जिला अस्पताल के लिए ले जाया जा रहा था, इसी दौरान सिरसौद गांव के पास प्रसूता ने नवजात को असुरक्षित जन्म दे दिया। जिससे बच्चा फंस गया था। इसी दौरान 108 के चालक ने समझदारी दिखाते हुए प्रसूता को तत्काल सिरसौद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया जहां मौजूद दो एएनएम ने एंबुलेंस में ही बच्चे को बचाने का प्रयास किया परंतु नवजात स्वास्थ्य में कमी की लापरवाही की वजह से अपनी आंखें तक नहीं खोल सका था कि बच्चे की मौत हो चुकी थी।

प्रसूता की सास फूलवती जाटव का कहना है कि उसकी बहू को पिछोर के स्वास्थ केंद्र में ही पीड़ा हो रही थी। इतना समय नहीं था कि उसे शिवपुरी के जिला अस्पताल ले जाते जाता इसके बावजूद डॉक्टरों ने लापरवाही बरतते हुए उसकी बहू को शिवपुरी के जिला अस्पताल के लिए रैफर कर दिया।

इसी दौरान शिवपुरी ले जाते वक्त रास्ते में ही एंबुलेंस में बच्चे ने जन्म लिया। जिससे उसकी मौत हो गई।

पिछोर बीएमओ संजीव वर्मा का कहना है कि इस मामले में प्रसूता को 7-8वें माह में प्रसव पीड़ा होने लगी थी। इस स्थिति में सुरक्षित प्रसव कराना संभव नहीं था। इसी के चलते प्रसूता को शिवपुरी के जिला अस्पताल रैफर कर दिया था।

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