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बैराड़ में अनियमितताओं के बीच संचालित हैं निजी स्कूल: व्यापार का माध्यम बन चुके है शिक्षा का मंदिर कहे जाने बाले स्कूल

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प्रिन्स प्रजापति@शिवपुरी। प्रदेश भर के निजी स्कूलाें पर फीस वृद्धि सहित अन्य अनियमितताओं पर लगाम लगाने के लिए मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम-2017 बनाया गया। इसके बाद दो दिसंबर 2020 को नियम बनाए गए, लेकिन इसका पालन नहीं हो पा रहा है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग कई बार आदेश जारी कर चुका है। अब फिर से राज्य शासन द्वारा प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को निर्देशित किया गया था कि वे स्कूल फीस और अन्य विषयों की जानकारी पोर्टल पर आठ जून तक अपलोड कर दें। इसके साथ ही शासन द्वारा प्रदेश के सभी कलेक्टर को 30 जून तक विशेष अभियान चलाकर निजी स्कूलों में अनियमितताओं को चिन्हांकित करने के निर्देश दिए गए हैं।

शिवपुरी जिले के बैराड़ निजी विद्यालय अनियमितताओं से भरे पड़े है। शासन की इस गाईडलाइन का पालन भी बैराड़ में कहां तक होता है। यह भी देखना होगा। बैराड़ क्षेत्र में ​कई निजी विद्यालय अब तक पालको से मनमर्जी से फीस बसूलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इतना ही नहीं अव्यवस्थाओं के बीच संचालित विद्यालय में फीस बसूली हो या ड्रेस हो या फिर कोर्स हो सभी ने अपने स्तर पर व्यापार चला रखा है।

बता दे कि बैराड़ में कई निजी विद्यालय जिनके पास​ नियम अनुसार बच्चों को शिक्षा देने के लिए स्थान भी नही है। लेकिन फिर भी जानवरों की तरह बच्चों को भरकर मोटी रकम पालको से बसूल रहे है। कहा जाए तो बैराड़ में शिक्षा का मदिंर कहे जाने बाले विद्यालय अब व्यापार का माध्यम बन चुके है।

बता दे कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सभी कलेक्टर को दिए गए निर्देशों में कहा गया है कि कुछ स्कूलों द्वारा फर्जी व डुप्लीकेट पाठ्य-पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है।इस अभियान में अनियमितताएं चिन्हित होने पर संबंधित प्रकाशक एवं बुक सेलर्स के खिलाफ नियमानुरूप कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।

सभी कलेक्टरों को जांच के बाद प्रतिवेदन लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें, कि प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा फीस में वृद्धि एवं इससे जुड़े अन्य विषयों को नियमन करने के लिए मप्र निजी विद्यालय (फीस और संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम-2017 बनाया गया है।इस अधिनियम को 2018 में लागू किया गया ।इस अधिनियम के अधीन मप्र निजी विद्यालय(फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) नियम-2020 में प्रविधान किया गया है कि राज्य सरकार निजी विद्यालयों की फीस व अन्य विषयों पर निर्णय लेकर फीस विनियमन कर सकेगी।

बैराड़ क्षेत्र में निजी विद्यालय द्धारा हॉस्टल भी संचालित कर रखे है जो अव्यवस्थाओं के साथ चल रहे है। इतना ही नही स्कूलों में बगैर एडमीशन के टयूसन के रूप बच्चों को पढाया जा रहा है। जिसके एवज में विद्यालय संचालक पालको से मोटी रकम वसूलने मेे कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। निजी स्कूलों में बच्चों के खलने व शारिरिक के लिए मैदान भी नही है और मान्यता लेकर बैठे है। बता दे कि मान्यता की बात करे तो इस विषय में कुछ कहने की आवश्कता नहीं है कि किस तरह शासन को चूना लगाने के अलावा पालको को गुमराह कर बच्चों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। अब देखना यह है कि शासन के नए नियमों के बाद पालको को कितनी राहत मिलती है। या फिर ठीक उसी तरह विद्यालय संचालक स्कूलों के नाम पर व्यापार करते रहेंगे।

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