दुलर्भ बीमारी से लड रहा है 2 साल का कृष्णा: 16 करोड के इंजेक्शन से बच सकती है जान,माता पिता ने आर्थिक सहयोग की अपील

शिवपुरी। आज एक खबर शोसल मीडिया पर बायरल हो रही है। इसमें एक दो साल के मासूम के इलाज के लिए माता पिता को 16 करोड रूपए की जरूरत है। 16 करोड के इस इंजेक्शन से उस मासूम की दुलर्भ बीमारी को खत्म किया जा सकता है। यह इंजेक्शन भारत में नहीं मिलता। जिसके चलते माता पिता ने आम पब्लिक से बेटे को बचाने के लिए आर्थिक सहयोग की अपील की है।

मेडिकल मामलों के जानकारों ने बताया है कि इस बीमारी से झूझ रहे मासूम के लिए जो इंजेक्शन चाहिए वह इंडिया में नहीं मिलता। साथ ही यह इंजेक्शन जन्म से 5 साल तक अगर लग गया तो यह बच्चा दुनिया में जिंदा रह सकता है। जिसके चलते मध्यम वर्गीय परिवार के इस माता पिता इस इंजेक्शन को खरीद नहीं पा रहे तो अब उन्होंने आम पब्लिक से मदद की गुहार लगाई है।

शहर के खुडा बस्ती के रहने वाले शुभम भसीन ने बताया कि उसका बेटा दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा है। इस बिमारी का पता उसे बेटे के पैदा होने के 6 माह बाद लगा। शुभम ने बताया कि उसका बेटा 6 माह का हो गया था। लेकिन वह बैठ नहीं पाता था इसके बाद बेटे को ग्वालियर में डॉक्टर को दिखाया था। जहां MRI रिसर्च के आधार पर डॉक्टर ने बताया था कि मेरा बेटा कभी बैठ नहीं सकता।

इसके बाद मैं और मेरी पत्नी आसमा भसीन बेटे को लेकर दिल्ली के श्री गंगाराम हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। जहां ढेर सारी जांच हुई उनमें से एक जांच की 21 दिन बाद रिपोर्ट आई जिसमें पता चला कि बेटा स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA-1) बीमारी से ग्रसित था।

परिवार ने लगाईं मदद की गुहार
शुभम भसीन ने बताया कि इतना महंगा इंजेक्शन ला पाना परिवार की बस की बात नहीं है। उन्होंने कलेक्टर से लेकर सीएम, पीएम नरेंद्र मोदी के लिए मदद के लिए पत्र लिखे हैं।

बता दें अब कृष्णा के माता-पिता ने 16 करोड़ का जोलगेन्स्मा इंजेक्शन खरीदने के लिए लोगों से मदद करने की गुहार लगाई है। उन्होंने प्रशासन से लेकर शासन और स्वयंसेवी संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों से भी बच्चे को बचाने में मदद करने की अपील की। बता दें कि कृष्णा के पिता शुभम एक छोटी से मोबाइल की दुकान चलाते हैं। शुभम भसीन ने लोगों से मदद की गुहार लगाते हुए अपना मोबाइल नंबर 7869333666 साझा किया है।

क्या है SMA बीमारी?
स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (SMA) बीमारी वाले बच्चों के शरीर में प्रोटीन बनाने वाला जीन नहीं होता। इससे मांसपेशियां और तंत्रिकाएं (Nerves) खत्म होने लगती हैं। दिमाग की मांसपेशियों की एक्टिविटी भी कम होने लगती है। ब्रेन से सभी मांसपेशियां संचालित होती हैं, इसलिए सांस लेने और खाना चबाने तक में दिक्कत होने लगती है। SMA कई तरह की होती है। Type-1 सबसे गंभीर बीमारी होती है। यह मांसपेशियों को खराब कर देने वाली दुर्लभ बीमारी है। यह तंत्रिका तंत्र को सुचारु रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक प्रोटीन के निर्माण को बाधित करती है। ऐसे में तंत्रिका तंत्र नष्ट होने से बच्चे की मौत भी हो सकती है।

स्विटजरलैंड की कंपनी बनाती है इंजेक्शन
पीड़ित बच्चे के पिता को हेल्थ डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बताया कि इस बिमारी का इलाज फिलहाल भारत में नहीं है। इस बीमारी से निपटने के लिए इंजेक्शन स्विटजरलैंड की कंपनी नोरवाटेस बनाती है। जिसकी कीमत 16 करोड़ रूपए है। यह इंजेक्शन उन जीन को निष्क्रिय कर देता है, जो मांसपेशियों को कमजोर कर उन्हें हिलने-डुलने और सांस लेने में समस्या पैदा करते हैं। साथ ही बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य रूप से हो सके, इसके लिए वो जरूरी प्रोटीन का उत्पादन भी करता है।

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