बच्चे को जन्म तो दे दिया लेकिन लापरवाह नर्स और आशा की बजह से गई मां की जान: 5 घंटे जाम के बाद 2 पर FIR, 3 को हटाया

प्रिन्स प्रजापति@बैराड़। सामुदायिक स्वास्थ केंद्र बैराड़ में बीते रोज डिलेवरी के दौरान एक प्रसूता महिला की मौत हो गई थी। परिजनों का आरोप था कि आशा कार्यकर्ता और एएनएम ने उसे डिलेवरी के दौरान ही मार दिया और मृत अवस्था में ही उसे जिला अस्पताल रैफर कर दिया था। इसी बात पर अड़े परिजन मृत महिला के शव को शिवपुरी से बैराड़ अस्पताल लाए और कार्यवाही की मांग को लेकर शव को अस्पताल के सामने बीच रोड़ पर रखकर जाम लगा दिया। करीब 5 घंटे के जाम के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
दरअसल, बीते 29 दिसंबर को बैराड़ थाना क्षेत्र के ग्राम भीमलाठ के रहने बाले बलवीर यादव की पत्नि छाया यादव उम्र 21 साल की डिलेवरी होनी थी। इसलिए परिजन और बलवीर अपनी पत्नि छाया को सुबह करीब 5 बजे 108 से सामुदायिक स्वास्थ केंद्र बैराड़ पर लेकर पहुंचे। जहां परिजनों को नर्स नौसिन खांन और आशा कार्यकर्ता सरोज धाकड़ ने जांच बलबीर की बुआ रामबती को बताया कि बच्चा उल्टा है और 5 हजार रूपए देदो तो हम डिलेवरी कर देंगे। जिसके बाद 4 हजार रूपए नौसिन खांन को दे दिए। इसके बाद नर्स और आशा छाया को डिलेवरी रूम में ले गईं।
छाया की बुआसास ने बताया कि डिलेवरी की दौरान उन्हानें छाया के साथ मारपीट भी की। कहने पर हमें अंदर नहीं जाने दिया। और बच्चा उल्टा होने की कहकर भगा दिया। करीब 12 बजे बहू छाया को लड़का पैदा हुआ। जब हमने देखा तो बहू के मूंह से जाग आ रहा था। हमने कहा कि बहू की तबीयत बिगड़ रही है इसका इलाज करो या शिवपुरी रैफर कर दो। लेकिन डेढ़ घंटे के बाद डॉक्टर को बुलाया और शिवपुरी रैफर किया लेकिन तब तक छाया की मौत हो गई थी। शिवपुरी अस्पताल में भी डॉक्टर ने भी जांच के बाद उसे मृत बताया और वापस ले जाने की कहकर वापस भेज दिया।
इसके बाद परिजन करीब 4 बजे शव को लेकर बैराड़ हॉस्पीटल पहुंचे जहां डॉक्टर और नर्श सहित आशा कार्यकर्ता पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शव को अस्पताल के सामने बैराड़ अस्पताल के सामने रखकर चक्काजाम लगा दिया। परिजनों की मांग थी इन सभी पर एफआईआर दर्ज कर इनको निलंबित किया जाए। इसके बाद करीब 2 घंटे तक आवगमन बंद रहा तब पोहरी एसडीएम शिवदयाल धाकड़, एसडीओपी सुजीत सिंह भदौरिया मौके पर पहुंचे और करीब 2 घंटे की समझाईस और सांत्वना के बाद थाना प्रभारी बैराड़ नबीन यादव द्धारा नर्स नौसिन खांन और आशा सरोज धाकड़ पर एफाआईआर दर्ज की। इसके साथ ही परिजनों की मांग पर लैव टैक्निसियन संजीव सिंह और नर्श नौसिन खांन व सरिता कोकडिया को तत्काल प्रभाव से तीनों को बैराड़ से हटाकर रिलीव किया गया।
किसी के परिवार का सदस्य गया और कोई कर रहा था राजनीति
बता दें कि इस दौरान राजनीतिक लोग अपनी रोटियां भी सेंकने में लगे थे। कुछ महानुभाव तो प्रशासन के आगे झूठी सुहानभूति बटोरने में लगे रहे और उधर मृतका के परिजन अपने लिए न्याय की मांग के साथ इस बिकट परिस्थित में लड़ रहे थे। जिससे किसी और मजबूर और वेवस के साथ ऐसी घटना न हो। सूत्रों की मानें तो जाम के दौरान कोई महानुभाव और राजनेता लोगों के साथ खड़ा नजर नहीं आया और करीब 4 घंटे के जाम के बाद प्रशासन और पीड़ित परिवार के सामने अपने मूंह को दिखाने आए और अपनी रोंटिया सेंकने लगे। किसी महिला की प्रथम डिलेवरी के दौरान मौत हो जाना परिवार केे लिए असहनीय पीड़ा थी। उस दौरान कुछ लोग इस ज्वलंत मामले में आपा तूपी में लगे नजर आए।
पुलिस की कार्यवाही को नगरभर ने सराहा
हालांकि इस दौरान पुलिस ने पूर्व की घटनाएं और हॉस्पीटल स्टॉफ की शिकायतें के चलते पॉस्टमार्टम से पहले एफआईआर दर्ज कर परिजनों को सांत्वना दी। पुलिस की इस कार्यवाही को नगरभर ने सराहा है। क्यूंकि यह स्टाफ काफी समय से यहां जमे है और ट्रांसफर के बाद भी यह आज दिनांक तक रिलीव नहीं हुए और अपनी मनमर्जी के अनुसार कार्य कर रहे है। इस संबंध में कई अखवारों से सहित इलोक्ट्रोनिक मीडिया ने भी प्रकाशन किया था। लेकिन इन कर्मचारियों लम्बे तार इन्हेें यहां से डिगा नहीं पाए। इसके बाद पुलिस प्रशासन की इस कार्यवाही को नगरभर ने सराहा है।
