अमर शहीद अमर शर्मा का बलिदान ​भूल गया प्रशासन: एक दिन मनाया शोक और अब पिता भीख मांगने को मजबूर

शिवपुरी। जिले में प्रशासन भले ही सुशासन होने का दाबा कर रहा है। परंतु इसी बीच जो तस्बीर निकलकर सामने आती है उसे देखकर कोई भी सोचने को मजबूर हो जाता है। अभी कुछ दिनों पहले यानी 26 अक्टूबर 2022 को शिवपुरी जिले का लाल अमर शर्मा सियाचीन के वॉर्डर पर शहीद हो गया था। अपनी माटी के लाल के शहीद होने पर पूरे जिले में शोक की लहर दौड गई। पूरे जिले में लोग महज अमर शहीद के पार्थिव शरीर की एक झलक पाने के लिए सडकों पर दौड पडे परंतु जैसे ही यह शिवपुरी का लाल माटी में मिला फिर सभी इस लाल को भूल गए।

विदित हो कि बीते 26 अक्टूबर को शिवपुरी के खरई भाट निवासी अमर शर्मा का सियाचिन में माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तापमान में देश की सेवा करते हुए 28 साल की उम्र में हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। 28 अक्टूबर 2022 को अमर का पार्थिव शरीर शिवपुरी लाया गया था। अंतिम विदाई में जन सैलाव उमड़ पढ़ा था। शहीद अमर शर्मा का अंतिम संस्कार अधिकारियों और नेताओं ने उसके पैतृक गांव खरई भाट में एक खेत में कराया था। अंतिम विदाई में भी सैकड़ों लोग एकत्रित हुए थे।

विदित हो कि उनके पैतृक गांव खरई भाट में जिस स्थान पर अमर शर्मा का अंतिम संस्कार किया गया था उस स्थान पर प्रशासन ने अमर शहीद पार्क बनाने के लिए 2 बीघा 18 विस्बा जमीन देने की घोषणा की थी। बेटे की मौत के बाद बिलखते पिता की फरियाद पर अमर शर्मा के छोटे भाई को नौकरी दिलाये जाने के साथ साथ सरकार की और से मदद आश्वासन भी परिवार को मिला था। लेकिन अमर की चिता ठंडी होते ही की गई घोषणाएं भी ठंडी पढ़ गई। हालांकि सेना ने जरूर एजीआइ की राशि परिवार के सुपुर्द कर दी है।

शहीद पार्क पर ही हो गया अतिक्रमण
अब तक घोषित हुए स्थान पर अमर शहीद पार्क बनके तैयार हो जाना चाहिए था लेकिन उस जमीन पर गांव के दबंग द्वारा खेती की जा रही है, परिवार ने इसकी मुख्य प्रशासन और सरकार की उदासीनता को माना है। अमर के माता पिता का कहना है हम अपने बेटे का अंतिम संस्कार अपने खेत में करना चाहते थे, लेकिन सभी ने कहा यहां करो, हम पार्क बनाएंगे। पार्क बनाना तो दूर उस जमीन पर एक निशान भी नहीं कि यहां पर देश के लिए बलिदान होने वाले की अंत्येष्टि की गई थी। जब ऐसा ही करना था तो फिर इतनी भीड़ जुटाकर तमाशा क्यों किया? इतना कहते हुए दोनों की आंखे अपने बेटे को याद कर नम हो जाती हैं। बता दें कि अब तक प्रशासन ने उस जमीन का सीमांकन तक नहीं कराया है।

मां अब जनसुनवाई के काट रही है चक्कर
शहीद अमर शर्मा की मां ममता शर्मा ने बताया कि अब तक वह जनसुवाई के कई चक्कर भी लगा चुकी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अमर की मां का कहना है कि बेटे अमर शर्मा के बलिदानी होने के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, सांसद केपी यादव, प्रभारी मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया आदि तमाम नेता पहुंचे थे। अमर पिता ने बताया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तो गले में हाथ डालते हुए कहा था कि पंडितजी आप चिंता मत करो हम साथ में हैं। किसी ने बेटे को नौकरी दिलाने का वादा किया था तो किसी ने कुछ नहीं किया। आज आठ महीने बीत गए एक भी नेता ने अपना वादा पूरा नहीं किया है।

इंडियन वेटरंस आर्गेनाइजेशन के जिला अध्यक्ष कैप्टन चंद्रप्रकाश शर्मा ने बताया कि सेना में ड्यूटी के दौरान यदि किसी सैनिक की जान चली जाए तो उसे बलिदानी माना जाता है। अमर शर्मा जिले का पहला बलिदानी है और उसकी स्मृति में पार्क व स्माकर बनना चाहिए। जिस जमीन पर पार्क बनना है उसका सीमांकन ही नहीं हुआ है जबकि पंचायत ने प्रस्ताव पास कर दिया है। हम इसे लेकर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मांग कर रहे हैं। यदि जमीन का सीमांकन हो जाए तो स्मारक और पार्क के लिए सभी लोग स्वेच्छा से अनुदान देने भी तैयार हैं। इधर कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने इस मामले को दिखवाने की बात कही है।

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