शिवपुरी में टमाटर की कीमत 120 पार : क्षेत्रीय किसानों को कभी नहीं मिला मंहगे होने का लाभ

शिवपुरी । खबर शहर में बढ़ती टमाटर की कीमतों के कारण मिडिल क्लास परिवारों की थाली से फिलहाल टमाटर विलुप्त होता जा रहा है। इतना ही नहीं बड़े से लेकर छोटे होटलों पर खाने आने वाले लोगों को सलाद में फिलहाल टमाटर का स्वाद कम ही मिल पा रहा है। जबकि शिवपुरी जिले का नाम प्रदेश के सबसे अधिक टमाटर पैदा करने बाले जिलों में शुमार है।

इसके बावजूद शिवपुरी में रविवार को टमाटर की कीमत 120 रूपए किलो तक जा पहुंची है। सब्जी मंडी के व्यापारियों का कहना है कि इस समय जिले में बेंगलोर टमाटर से पूर्ति की जा रही है। इसके टमाटर का भाव अधिक है। वहीं, शिवपुरी में टमाटर की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि उन्हें कभी 120 रुपए के हिसाब से दाम नहीं मिला। उन्हें केवल 25-30 रुपए ही मिलता है। टमाटर महंगा होने का फायदा हमें कभी नहीं मिला।

जानकारी के अनुसार शिवपुरी विधानसभा में कृषि भूमि के 70 फीसदी रकब में किसान टमाटर की खेती करते हैं। बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती करने वाले किसान रवि रावत ने बताया कि जुलाई माह से टमाटर की खेती होना शुरू हो जाती है और सितम्बर माह से बाजार में क्षेत्रीय टमाटर आना शुरू हो जाता है जो नो माह तक आता रहता है 12 माह में सिर्फ मई-जून-जुलाई में ही क्षेत्रीय टमाटर बाजार में आना बंद हो जाता है। इसके चलते बाहर से मंगाए हुए टमाटर का भाव सातवें आसमान को छूने लगते हैं।

टमाटर की खेती करने वाले किसान रवि रावत ने बताया कि शिवपुरी के किसान 9 माह तक टमाटर की खेती करते है लेकिन उन्हें कभी 120 रूपए किलो का भाव नहीं मिला। शिवपुरी में टमाटर की पैदावार करने वाले किसानों को टमाटर का अधिकतम भाव 25-30 रूपए किलो ही मिल पाता है इसके साथ ही किसानों को अपना टमाटर 2-5 रूपए किलो बेचने पर मजबूर होना पड़ता है।

कई बार भाव न मिलने के कारण नौबत टमाटर फेंकने तक की आ जाती है। पिछले कई वर्षों से टमाटर का भाव लागत से भी कम मिलने के चलते किसानों को अपना टमाटर फेंकना पढ़ रहा है। क्षेत्रीय किसानों ने कई बार प्रशासन से टमाटर के सॉस की फैक्ट्री लगाने की मांग की लेकिन सरकार ने किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दिया।

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