कीचडयुक्त पानी पीकर जीवन जी रहे थे आदिवासी,सहरिया क्रांति की पहल से अब मिलेगा नलकूप का पानी

शिवपुरी। जिला मुख्यालय से 33 किलोमीटर दूर गाराघाट रेस्ट हाउस के पास बाढ़ की विभीषिका के बाद प्राण बचाकर भागे सहरिया आदिवासियों की बस्ती शंकरपुर में गंदा कीचड़ को पानी के रूप मे पीने को मजबूर गरीब आदिवासियों की करुणामय स्थिति को सहरिया क्रांति द्वारा संज्ञान मे लाये जाने के बाद आज मुख्य मंत्री शिवराज सिंह की मंशानुरूप शिवपुरी जिला कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने सक्रियता दिखाते हुये वहाँ नलकूप खनन कराया जिसमे पानी भी निकल आया है।

पानी निकलते ही आदिवासियों की आँखें नम हो गईं और वे बेहद खुश होकर नाचते रहे, पानी आने की खुशियाँ मनाई गईं। 3 साल से कीचड़ को छानकर अपनी प्यास बुझाने वाले आदिवासियों को पानी मिलना ऐसे लगा जैसे उनको सबकुछ मिल गया हो। यह मुद्दा सोशल मीडिया हाईलाइट हुआ था।

रात में चलती थी झिर तब भरता था गड्डा, सुबह मिलता था पानी
आज नलकूप खनन से पूर्व पेयजल की व्यवस्था हेतु आदिवासियों की जो दास्तां थीं वह काफी दर्द भरी थी। आदिवासी महिला पुरुष गांव के समीप बने पोखरनुमा गड्डों से पानी की जुगाड़ करते थे। इन गड्डों में जंगल के ऊंची एरिए से झिर निकली हुई है ये झिर रात भर में गड्डे को भर देती थी और सुबह से ही आदिवासी महिला और बच्चे से यहां पानी के बर्तन लेकर एकत्र हो जाते थे जो इस कीचडय़ुक्त पानी को अपने पीने और खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करते थे। आदिवासी महिलाओं ने बताया कि इस गड्डे से कुछ ही घरों के बर्तन भर पाते थे फिर सब थोड़ा थोड़ा पानी बांट लेते थे। इस प्रकार सभी अपना अपना जीवन यापन कर रहे थे।

साफ पानी लेने फोरलेन हाइवे पार कर 2 किमी दूर जाना था पानी के लिए
आदिवासियों ने बताया कि ग्राम शंकरपुर में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है यहां रोजमर्रा के कामों के लिए ही पानी नहीं था गांव के लोग पानी की व्यवस्था के लिए गांव से दो किमी हादसों के साये बीच फोरलेन पार करके जाते थे इस दौरान कुछ आदिवासी दुर्घटना के शिकार भी हो चुके थे। आदिवासियों ने बताया कि हमें पानी भरने के लिए बच्चों को भेजने का सर्वाधिक डर लगता था क्योंकि इस क्षेत्र में फोरलेन से वाहन अत्याधिक तीव्र गति में गुजरते थे और ऐसे में बच्चों के साथ हादसा होने का डर सताता रहता था।

ऐसे चेता प्रशासन
आदिवासियों ने पेयजल समस्या के लिए कई बार प्रशासन से जिला मुख्यालय पर अवगत कराया मगर कोई सुनवाई नहीं, आदिवासियों ने जब इस मामले में सहरिया क्रांति संयोजक संंजय बेचैन को बताया तो उन्होंने तत्काल इस मामले में पहल करते हुए म.प्र. शासन एवं शिवपुरी कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह को पूरे मैटर से अवगत कराया। कलेक्टर ने सहरिया क्रांति संयोजक की बात को बेहद गम्भीरता से लिया और लोक अभियांत्रिकी विभाग को तत्काल गांव में नलकूप खनन के आदेश दिए।

पीएचई विभाग ने आज 7 दिसम्बर को शाम को ही यहां बोरिंग मशीन भेज दी और बोर उत्खनन प्रारम्भ कर दिया। बोरिंग प्रारम्भ होते ही 7 बजे के लगभग यहां पानी के फब्बारे फूटे तो आदिवासियों के चेहरों पर खुशी छाई गई, यहां बच्चे, बूढ़े, जवान सब खुशी के मारे झूम उठे। आदिवासियों ने खुशी का इजहार करते हुए शिवराज मामा, कलेक्टर शिवपुरी और सहरिया क्रांति का आभार जताया।

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