मिलिए भ्रष्टाचार की ब्रांड बनी परियोजना अधिकारी पूजा स्वर्णकार से, THR में करोडो का राशन आया परंतु गया कहा ?

सतेन्द्र उपाध्याय@ शिवपुरी। बैसे तो शिवपुरी में ऐसा कोई भी विभाग अछूता नहीं है। चारों और भ्रष्टाचार का जमकर बोलबाला है। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार जिले में महिला बाल विकास विभाग में देखने को मिल रहा है। आंगनबाडियों पर स्व सहायता समूह खाना तो पहुंचा रहे है। परंतु यह खाना ऐसा पहुंच रहा है कि ​इसे बच्चे तो दूर पशु भी खाने से परेज करते है। अगर इसका औचक निरीक्षण किया जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। ऐसा नहीं है कि यह दावा किसी एक आंगनवाडी का है। वल्कि जिले की कोई भी आंगनवाडी का कलेक्टर औचक निरीक्षण करे तो पूरी कहानी साफ हो जाएगी।

जिले में जब कोलारस महिला एवं बाल विकास विभाग की कमान पूजा स्वर्णकार को सौंपी गई थी उम्मीद थी कि इस विभाग की कमान महिला को सौंपी जाएगी तो महिला होने के नाते इस विभाग में कम भ्रष्टाचार होगा। परंतु यह तो पुरूषों से भी कई गुना आगे निकली है। इन्होंने इस विभाग के हर मामले में सबसे पहले अपना कमीशन फिक्स किया है। यह बात हम नहीं कह रहे यह पूरा खुलासा आॅडिट रिपोर्ट में सामने आया है।

बीते 2019 से कोलारस में महिला बाला विकास विभाग में पदस्थ पूजा स्वर्णकार का विवादों से पुराना नाता है। यहां अपनी कुर्सी संभालते ही इन्होंने भ्रष्टाचार के नए आयाम स्थापित कर दिए है। 4 मार्च 2020 को यहां आंगनवाडी की भर्ती निकली। जिसमें बिना रिश्वत लिए एक भी भर्ती नहीं की। जिन्होने भेंट दक्षिणा दी उन्हें यहां भर्ती किया गया।

मध्यप्रदेश में हुए टीएचआर घोटाले में कोलारस और खनियांधाना का नाम सामने आया। जिसमें टीएचआर यानी टेक टू हॉम राशन में बडा घोटाला सामने आया हैे। आॅडिट रिपोर्ट के अनुसार 2019 से 2022 तक प्लांटों से तो राशन आया है। परंतु आंगनवाडियों पर यह नही बटा है। जो गर्भवती महिलाओं,धात्री महिलाओं एवं 0 से 6 साल तक के सभी बच्चों और किशोरी बालिकाओं को आंगनवाडी पर पैकेट के माध्यम से बांटे जाते है। जो नहीं बटा अब यह कहा गया यह तो पाठक समझ ही गए होंगे।

विभाग के ही सूत्रों ने पूरी जानकारी देते हुए बताया है कि ऐसे एक नहीं लगभग कई कारनामें मेंडम ने यहां स्थापित किए है। अब अपनी बसूली का कोटा पूरा होने और इस मामले की पोल न खुल जाए इसलिए मेडम इस टीएचआर घोटाले से बचने के लिए अब मेडम अपना ट्रासफर ग्वालियर कराने की जुगत में लगी है। अब यहां अपने खर्चे पर अपना ट्रासंफर कराकर ग्वालियर जाने की जुगत में लगी है।

कुल मिलाकर अगर इस परियोजना की कलेक्टर बारीकी से किसी अच्छे और सच्चे अधिकारी से जांच कराकर आंगनवाडी कार्यकर्ता और सुपरवाईजरों से बारीकी से पूछताछ करें तो करोडों का घोटाला सामने आना तय है। अब देखना यह है कि इसमें कलेक्टर जांच करा पाते है या फिर हमेशा की तरह यह करोडों का गबन दब जाएगा।

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